शंख में समंदर

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शंख में समंदर -- सतह पर उभरते चित्रों का कोलाज लेखक--डॉ. अजय शर्मा ------------------------- आओ बात करें कुछ मन की, जीवन की और उसके क्षण की | ज़िंदगी की सुनहरी धूप-छाँह सबको अपने भीतर समो लेती है | कौन बचा रहता है उससे ? यह तो ऐसी छतरी ओढ़ाकर हम सबको अपने नीचे पनाह देती है जिसमें से भरी ग्रीष्म में धूप भी जलाती है और भरी बरसात में तड़ातड़ पानी बरसने से उसमें छेद भी हो जाते हैं जिसमें से टप-टप बूंदें देह को भिगो भी सकती हैं | बस, जीवन कुछ ऐसा ही है | कभी भरी बारिश