मजदूर - भाग 2

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रामू अपने कार्यालय में एक दिन सुबह ठीक दस बजे पंहुचा आये पत्रों को और समस्याओं को पढ़ता शुरू किया और उसके उचित निदान का निर्देश अपने पी आर ओ को देता जाता ।एका एक रामू की निगाह एक बंद लिफ़ाफ़े पर पड़ी जिसकेप्रेषक का नाम लिखा था रामानुजम तोतादृ अर्नाकुलम केरल जल्दी जल्दी बंद लिफ़ाफ़े को खोलता है और पत्र पढना शुरू करता है पत्र में तोताद्रि जी ने लिखा था ----प्रिय रामूमैं आज बड़े ही भारी उदास मन से नितांत अकेले बैठा हुआ हूँ शांति इतनी कि साँस लेता हूँ तोखुद के स्वांस की आवाज़ पवन के तूफान