अरुण- डूबता सूरज!! --------------------------- ----भाग एक- गांव छोड़ना----अरूणः मां मैं कल सुबह खोड़ा जीजी जीजाजी के पास जाऊंगा। कुछ भिजवा हो तो झोले में रख दियो। पापा से कुछ पैसे भी दिला दियो मेरी प्यारी मां। शाम को दोस्तों के पास जा रहा अरूण गेट तक जाते-जाते यह बाते कहते-कहते जा रहा था। आठवीं तक पढ़ा अरूण अपनी नई दुनिया के बारे-बारे में सोच-सोच कर बहुत खुश था। गांव के बंबे पर खड़े दोस्तों के पास जाकर चिल्लाकर बोला कि गाजियाबाद में जाकर नौकरी करेगा और खूब पैसे कमाएगा। हा हा हा... वह अपनी खुशी को रोकना नहीं चाहता था।