उजाले की ओर –संस्मरण

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============ स्नेही मित्रों ! सस्नेह नमस्कार आज जबसे मीरा आई थी, भुनभुनाती चली जा रही थी | खासी उम्र है मीरा की | हम सब एक ही कॉलोनी में कई वर्ष रह चुके थे | बाद में सबने अपने-अपने घर बना लिए। स्वाभाविक था अब मिलना काफ़ी कम होने लगा था | कभी जन्मदिवस पर, किसी छोटे-मोटे फ़ंक्शंस पर पुरानी कॉलोनी के सब लोग इक्कठे हो जाते और पुराने दिनों की याद करके खूब इन्जॉय करते | यह तब की बात है जब हममें से कइयों की नई-नई शादी हुई थी | अपने घरों को छोड़कर आना और अपने बालपन