वो निगाहे.....!! - 6

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जब मेहमान सब चले जाते हैं ,श्री जल्दि से अपने में जाकर गहराई से सब सोचने लगती है l इस वक़्त उसका मन खुशी के मारे बैचेनी से घिरा होता है जब उसकी बैचेनी कम नहीं होती है l तब जाकर वो गाने लगाकर झूम झूम कर नाचने लगती है उसकी बैचेनी धीरे धीरे कम पडने लगती है l चेहरा पर सुकून हि सुकून पसरने लगता है l तब तक नाचती जब तक श्री थक कर चूर नहीं हो गई l धानी बस कर श्री कितना नाचोगी भई अपनी शादी के लिये हम लोगों के लाने भी तनिक नाचना धर