भाग्यरेखा अपने घर की बालकनी में बैठा मनोहर, बाहर आंगन में लगे नीम के पेड़ की डाल पर बने घोसले से बाहर , छोटी सी टहनी पर बैठे चिड़ा की ओर एकटक देखे जा रहा था । उस चिड़े को देखते हुए उसकी नजर ठहर सी गई थी, मानो उसके जीवन चरित्र को बहुत गहराई से विश्लेषण कर रहा था या उसके बहाने अपने जीवन सफर में मन की आंखों से बहुत पीछे चला गया था , पीछे छूट गई अपनी राहों में कहीं खो सा गया था ! उसकी स्मरण शक्ति पीछे के दृश्यों को मानस पटल पर किसी