आहिस्ता चल ए ज़िंदगी!

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दोस्तो, ये कविता का नाम है.... आहिस्ता चल ए जिंदगी, अभी कई कर्ज चुकाना बाकी है ।हर बात ये कविता मुझे भी यही बात याद कराती है की थोड़ा जिंदगी की रफ्तार इस हिसाब से रखे क्योंकी Ultimate मुकाम हम सभी का एक ही है । और सफर कैसे तय करेंगे इससे तय होगा की हम जिंदादिल कहलाएंगे या एक मुर्दा लाश की तरह जिंदगी की इस भगड़ोल में चले जाएंगे ।इंसान और जिंदगी की रफ्तार के बिचमें जो कश्मकश है वोह इस कविता में बखुब बयान किए हैं। की पलक झपकते ही कैसे सालो साल गुजर जाते है, स्कूल