झोपड़ी - 10 - बनारस के पंडित

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हमारे गांव के गुरुकुल में बहुत अच्छी व्यवस्था चल रही थी। एक बार दादा जी, मैं और मौसी एक गाड़ी बुक करके बनारस घूमने गये। यह गाड़ी एक बड़ी बस थी। यह अच्छी शानदार बस थी। हम तीनों के साथ गांव के कई लोग थे। पूरी बस भरी हुई थी। बस में एक कुक, एक ड्राइवर, एक कंडक्टर, 1-2 नौकर चाकर आदि थे। हमने पूरे भारत का भ्रमण किया। इस क्रम में हम बनारस में घूमने के लिए गए। हमने बनारस के घाटों की यात्रा की। बनारस की सुंदरता को देखकर हम बड़े प्रसन्न हुए। इस दौरान मुझे बनारस के