गीता से श्री कृष्ण के 555 जीवन सूत्र - भाग 50

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भाग 49: जीवन सूत्र 57:जीवन के कर्मक्षेत्र में तो उतरना ही होगा भगवान श्री कृष्ण ने गीता में कहा है:-न कर्मणामनारम्भान्नैष्कर्म्यं पुरुषोऽश्नुते।न च संन्यसनादेव सिद्धिं समधिगच्छति।।3/4।। इसका अर्थ है,मनुष्य न तो कर्मों का आरम्भ किये बिना निष्कर्मता अर्थात योगनिष्ठा को प्राप्त होता है और न कर्मों के त्यागमात्र से सिद्धि अर्थात पूर्णता को ही प्राप्त होता है।भगवान कृष्ण की इस दिव्य वाणी से हम 'कर्मों का आरंभ' इन शब्दों को एक सूत्र के रूप में लेते हैं। वास्तव में हम अपने जीवन में किसी बड़े अवसर की तलाश करते रहते हैं और एक नई शुरुआत के लिए किसी अच्छे समय