कथा चलती रहे- स्नेह गोस्वामी

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कई बार कोई खबर..कोई घटना अथवा कोई विचार हमारे मन मस्तिष्क को इस प्रकार उद्वेलित कर देता है कि हम उस पर लिखे बिना नहीं रह पाते। इसी तरह कई बार हमारे ज़ेहन में निरंतर विस्तार लिए विचारों की एक लँबी श्रंखला चल रही होती है। उन बेतरतीब विचारों को श्रंखलाबद्ध करने के लिए हम उपन्यास शैली का सहारा लेते हैं और कई बार जब विचार कम किंतु ठोस नतीजे के रूप में उमड़ता है तो उस पर हम कहानी रचने का प्रयास करते हैं। मगर जब कोई विचार एकदम..एक छोटे से विस्फोट की तरह झटके से हमारे जेहन में