समर्पण

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अमन कुमार अरुण, सुनील का पुराना मित्र था। जब सुनील विदेश में डाॅक्टरी की पढ़ाई पूरी कर वापिस आया तब उसने अरुण को बुलाने के लिए अपना नौकर भेजा। -‘साहब! आप को सुनील सर ने बुलाया है।’ नौकर ने अरुण को बताया। -‘सुनील!’ चैंककर बोला अरुण- ‘कब आया सुनील।’ -‘साहब रात ही आए हैं।’ नौकर ने बताया। कुछ देर अरुण सोचता रहा उसने नौकर से कहा- ‘ठीक है, अपने ज़रूरी काम निपटाकर पहुँच जाऊँगा तुम्हारे साहब के पास।’ अरुण का जवाब सुनकर नौकर तो चला गया परंतु अरुण के मस्तिष्क में पुरानी स्मृतियां ताज़ा हो आईं। दरअसल अरुण और सुनील