कल्पना और अपने माता-पिता को देखते से कुछ ही पल में पूनम उनके सीने से लग गई और वहीं बेहोश हो गई। डॉक्टर त्रिपाठी जो परिवार के साथ आये थे पूनम की देखरेख में जुट गये। वह पूनम को किसी तरह से होश में लाते, वह कुछ बताये, उसके पहले वह फिर से बेहोश हो जाती। डॉक्टर ने कहा, “अभी पूनम से कोई भी प्रश्न करना ठीक नहीं है। वह जैसे ही होश में आती है, हम प्रश्नों की झड़ी लगा देते हैं। बेटा क्या हुआ? होश में आओ, कुछ तो बताओ? हमें धैर्य रखना होगा।” पूनम जैसे ही आँख