कुदरत का करिश्मा

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उत्तर भारत के पूर्वी उत्तर प्रदेश एव बिहार जो मेरी जन्म मातृ पितृ भूमि है वहां की सामाजिक संस्कारो और व्यवहारिक आचार व्यवहार से भली भांति परिचित हूँ ।पहले इन क्षेत्रों में बारात जब कन्या के यहां बिबाह के लिये पहुंचती है तो प्रथम रात्रि बैवाहिक सांस्कार सम्पन्न होते है दूसरे दिन घराती बाराती दोनों पक्षो के रिश्ते नातो गांव जवार एक दूसरे से परिचित होते है जिसे जनवासा कहते थे और तीसरे दिन बिदाई की रश्म सम्पन्न की जाती थी।सुजान गंज पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार से सटा हुआ गांव है जिसमें ठाकुरों की बाहुल्यता है ब्राह्मणों के भी