हत्यारों के मस्तिष् में प्रवेश डॉ, शिवारत्नम ललित वाया

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नीलम कुलश्रेष्ठ "साधारण मानव हत्यारा हो सकता है, कोई हत्यारा साधारण मानव हो सकता है इसलिए हम किसी भी मस्तिष्क को अपराधी नहीं कह सकते."ये विश्वास है इंस्टीट्यूट ऑफ़ बिहेविअरल साइंसेस, गुजरात फ़ोरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी, और डाइरेक्टोरेट ऑफ़ फ़ोरेंसिक साइंस की उप निदेशक डॉ.शिवा रत्नम ललित वाया के. "फिर भी कुछ लोग तो पैदायशी हत्यारे या अपराधी होते हीं हैं या कहना चाहिए की अपराध उनके `जींस `में होता है." "तो भी उनका क्या दोष है ? किसी को जन्म से सुन्दरता या कुरूपता मिलती है या अपराधी `जींस `,तो ये उन्होंने तो नहीं मांगी थी." " लेकिन जिनकी ज़िन्दगी