काल अभिमान

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मुरलीधरन उम्र के साठ वसंत व्यतीत कर चुके थे उनके पास भरा पूराखुशहाल परिवार एव पर्याप्त धन दौलत रुतबा रसूख था किसी चीज की कोई कमी नही थी नौकर चाकर कीमती गाड़ियां महल जैसी हवेली मुरलीधर के दो बेटे थे मुरुगन और देवन दोनों माँ बाप के आज्ञाकारी और सांस्कारिक थे कुल मिलाकरमुरलीधरन का जीवन सफलता के शिखर की जीवन यात्रा काअनुकरणीय उदाहरण था।मैसूर में विजय दशमी का त्यौहार बहुत मशहूर है दशहरा का दिन था सुबह सूरज की लालिमा के साथ दिन की पहली किरण नए शुभ दिवस का दस्तक दे रही थी मुरलीधर की नींद खुली अपनी आदत