इस छत के नीचे

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इस छत के नीचे कहानी / शरोवन *** ‘‘चोरी चाहे एक पैसे की हो और चाहे एक लाख की। चोरी, चोरी होती है। यह एक पाप है। मैं यह नहीं कहता हूं कि सब दूध के धुले हुये हैं, लेकिन जब यही सब करना था, पैसा ही कमाना था, झूठ ही बोलना था, चोरी ही करनी थी, तो कोई भी दूकान खोल लेते? और भी बड़े स्तर पर करना था तो कोई भी मिल खोल लेते? व्हाई दी मिनिस्टरी? (मसीही सेवा का काम ही क्यों)। देखो, यह जो कुछ भी हम दोनों के बीच में चल रहा है, उसका अंजाम