रिहाई कि इमरती

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रिहाई कि इमरती -स्वतंत्रता किसी भी प्राणि का जन्म सिद्ध अधिकार है जिसे कभी छीना नहीं जा सकता हां कभी कभी प्राणि विशेष कर मनुष्य अपने अहंकार शक्ति दंभ के उत्कर्ष में एक दूसरे को परतंत्र अवश्य बनाते है कभी वर्चस्व के लिए कभी सर्वस्व के लिए युद्ध लड़ कर एक दूसरे को परतंत्र बनाने कि होड़ लगी रहती है तो कभी कभी व्यक्ति खुद के बुने के जाल का परतंत्र हो जाता है तो कभी कभी धोखे फरेब के चाल का शिकार बन परतंत्रता से भयाक्रांत रहता है।प्रस्तुत कहानी सत्य घटना पर आधारित ऐसे ही एक गुसाग्र छात्र के