गीता से श्री कृष्ण के 555 जीवन सूत्र - भाग 42

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भाग 41: जीवन सूत्र 48:हँसी और प्रसन्नता के टॉनिकगीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है:-प्रसादे सर्वदुःखानां हानिरस्योपजायते।प्रसन्नचेतसो ह्याशु बुद्धिः पर्यवतिष्ठते।(2/65) इसका अर्थ है मनुष्य के अंतः करण में प्रसन्नता होने पर उसके समस्त दुखों का अभाव हो जाता है।उस प्रसन्न मन वाले कर्मयोगी की बुद्धि शीघ्र ही सब ओर से हटकर एक परमात्मा में ही अच्छी तरह से स्थिर हो जाती है। वास्तव में सुख और दुख मन की अनुभूतियां हैं। कभी-कभी मनुष्य सुख सुविधाओं में भी संतुष्टि भाव नहीं होने के कारण दुख का अनुभव करता है। कभी-कभी संसाधनों के अभाव में कष्ट पूर्वक जीवन जीने के बाद