7. चतुराई के द्वारा प्रबंधनसून त्जु के अनुसार— युद्ध में सेनापति अपने राजा के आदेशों का पालन करता है। अतः उन दोनों के बीच विचारों की सहमति होना बहुत ही जरूरी है। सेनापति को चाहिए कि पड़ाव डालने से पूर्व अपनी सेना के सभी भागों को एक जगह एकत्र करके उनमें सामंजस्य एवं मित्रता स्थापित करे। जब तक राज्य में एकसूत्रता नहीं होगी तब तक कोई युद्ध अभियान सफलतापूर्वक प्रारंभ नहीं किया जा सकता, तथा सेना में सामंजस्य के अभाव में युद्ध की तैयारी करना व्यर्थ होगा। इसके बाद आता है चतुराई से काम लेना, जो सबसे अधिक कठिन कार्य