4. सुनियोजित व्यवस्थापन कुशल योद्धा सर्वप्रथम स्वयं को अपराजित (अजेय) बनाता है और फिर उस मौके का इंतज़ार करता है जब दुश्मन को पराजित किया जा सके।खुद को पराजय से बचाए रखना स्वयं हमारे हाथों में होता है परंतु दुश्मन को पराजित करने का अवसर स्वयं दुश्मन द्वारा दिया जाता है।एक अच्छा योद्धा स्वयं को पराजय से बचाने में माहिर होता है, इसके लिए वह अपने सैनिकों को छिपाकर रखता है, उनके रास्तों को गुप्त रखता है तथा बचाव के उपाय एवं सावधानियों का निरंतर पालन करता है। (चेंग यू)परंतु फिर भी यह निश्चित नहीं होता कि वह शत्रु को