दूसरी वसीयत

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दूसरी वसीयत कहानी/शरोवन *** ‘जगतभाई ने बहुत कुछ खोया, बहुत कुछ पाया भी। इस दुनियां के हरेक रंग देखे। अपनों और परायों की परिभाषा को बार-बार पढ़ा और याद भी किया, लेकिन वे कभी इस बात को नहीं समझ पाये कि भारत से विदेश में आकर रहनेवाला स्वंय ही बदल जाता है या फिर यहां का पानी और आवोहवा उसे बदल देती है? इसकदर उसमें परिवर्तन आ जाता है कि, वह एक दिन अपने खून और मां-बाप को ही पहचानने से इनकार करने लगता है़।' *** वुडस्टाक शहर के शवगृह से जैसे ही पुलिस की पहली कार अपनी नीली बत्तियों