अग्निजा -- 126

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लेखक: प्रफुल शाह प्रकरण-126 केतकी का आत्मविश्वास दिनों-दिन बढ़ता ही जा रहा था। टैटू बनवाने के बाद सभी लोगों में अलग दिखाई पड़ने लगी थी। तिस पर गोआ का पानी चढ़ने के कारण उसका व्यक्तित्व और अधिक निखर गया था। काम करने का साहस तो उसमें पहले से ही था। सभी की सहायता करने की आदत भी थी। उसके दिमाग में नयी-नयी कल्पनाएं जन्म लेती रहती थीं। उन पर वह अमल भी करती थी। इनमें से यदि किसी के भीतर एक भी गुण हो, तो लोग उससे ईर्ष्या करने लगते हैं। फिर केतकी तो गुणों की खान ही थी...फिर उससे