प्रेत लेखन का नंगा सच - योगेश मित्तल

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अगर अपने पढ़ने के शौक की बात करूँ तो मेरी भी शुरुआत बहुतों की तरह चंपक, मधु मुस्कान, लोटपोट, नंदन, सरिता, मुक्ता, धर्मयुग.. वाया साप्ताहिक हिंदुस्तान, वेदप्रकाश शर्मा के थ्रिलर उपन्यासों से होती हुई गुलशन नंदा के सामाजिक उपन्यासों तक जा पहुँचती है। जी..हाँ, वही थ्रिलर उपन्यास और सामाजिक उपन्यास जिन्हें उस समय के तथाकथित दिग्गज साहित्यकारों ने लुगदी साहित्य कहते हुए सिरे से नकार दिया। हालांकि उस समय कर्नल रंजीत, इब्ने सफ़ी, जेम्स हेडली चेइस और गुलशन नंदा इत्यादि बहुत ज़्यादा बिकने और पढ़े जाने वाले लेखक थे मगर चूंकि ऐसे उपन्यास की लागत कम और मुनाफ़ा ज़्यादा रखने