झोपड़ी - 2 - दादाजी की झोपड़ी भाग 2

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गांव में रहते रहते मुझे काफी समय बीत गया। दादाजी मुझे नई-नई एक्सरसाइज सिखाते। जीवन जीने का नया बढ़िया तरीका सिखाते। जड़ी - बूटियों से उन्होने मेरे शरीर को स्वस्थ किया। धीरे-धीरे मेरा शरीर हष्ट -पुष्ट और बलवान होने लगा। दादा जी के घर में एक अच्छी नस्ल की गाय थी। उसका दूध मैं रोज एक -एक किलो पीने लगा। इससे मेरा शरीर बहुत जल्दी विकसित और सुंदर होने लगा। कुछ ही महीनों में मेरा शरीर किसी बलवान पहलवान की तरह हो गया। मेरी छातियां बाहर को आ गई। हाथ की मांसपेशियां तगड़ी हो गई। पैर भी तगड़े हो गये।