उजाले की ओर –संस्मरण

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--------------------------------- स्नेहिल नमस्कार मित्रों ये लेखन भी है बड़ी मज़ेदार चीज़ ! वैसे लेखन एक चीज़ नहीं कला है जो न जाने कहाँ कहाँ से से लोगों को मिलवा देती है | यानि आपका लेखन कुछ लोगों के बीच पहुंचा नहीं कि आपकी बिरादरी के कई लोग आपसे जुड़ गए | मेरे साथ तो बहुत हुआ है ऐसा और न जाने कब से हो रहा है और आज भी हो ही जाता है | यह अक़्सर किसी अनजान जगह पर बहुत सहायता भी करता है | आज से शायद 27/28 वर्ष पूर्व मैं अपने देवर के हृदय की सर्जरी करवाने