आदमी की नब्ज - श्री राम गोपाल भावुकराम भरोसे मिश्राश्री राम गोपाल भावुक का नया कहानी संग्रह "आदमी की नब्ज़"लोकमित्र प्रकाशन दिल्ली से प्रकाशित हुआ है। इसमें लेखक की चौदह कहानियाँ सम्मिलित हैं। कहा जाता है कि उपन्यास में हर लेखक द्रुतविलम्बित ताल से चलता है और कहानियों में हरिण की चाल से। इसका आशय हम कह सकते हैं कि हरिण की छबि , उसकी मुखमुद्रा क्षण भर को दर्शक को दिखाई देती है और स्मृति में शेष रह जाती है -उसकी छलांग, उसके गले से निकले स्वर तथा अत्यन्त दुबले से पैरों की उद्दाम क्षमता। इन कहानियों के बारे