आढा़ वक्त -राज बोहरे

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आड़ा वक़्त : अथ किसान कथा उपन्यास राजनारायण बोहरे भारत एक कृषि प्रधान देश है। प्रेमचंद से लेकर आज तक किसानों की दयनीय हालत पर बहुत कुछ लिखा गया है, लेकिन मर्ज बढ़ता गया ज्यों-ज्यों दवा की । छोटी जोत, असंगठित किसान, राजनीति का दोमुंहापन किसानों की तरक्की नहीं होने देता । खेतिहर किसान धीरे-धीरे मजदूर होता चला गया जो कि आज भूखों मरने की कगार पर है । किसान का शोषण साहूकार, सरकार और विदेशी कंपनियों तक सभी ने किया है । सरकारी प्रचार-प्रसार से किसान विदेशी कंपनियों के कुचक्र में फंस गया है। अंधाधुंध रासायनिक खाद का प्रयोग,