परम् वैष्णव देवर्षि नारद - भाग 15

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महाराज पृथु का पौत्र बर्हि बड़ा कर्मकांडी था। वह दिन-रात तरह-तरह के कार्यों में लगा रहता था। वह श्रीहरि की उपासना न करके देवी-देवताओं की उपासना किया करता था। वह देवी और देवताओं को प्रसन्न करने के लिए तरह-तरह के यज्ञ और अनुष्ठान आदि किया करता था। केवल यही नहीं बर्हि देवी-देवताओं को प्रसन्न करने के लिए जीवों की बलि भी दिया करता था। जीवों को बलि देते समय वह हर्षित होता था और अपने आपको धन्य मानता था। एक दिन देवर्षि नारद भ्रमण करते हुए बर्हि की सेना में उपस्थित हुए। बर्हि ने उनका स्वागत किया और बैठने के