नमो अरिहंता - भाग 12

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(12) संयोग ** आनंद जब वहाँ पहुँचे मेला उखड़ रहा था। यह मेला प्रतिवर्ष होली पर फाल्गुन सुदी चौदस से चैत्र वदी तीज तक विशेष रूप से लगाया जाता है और इसी मौके पर पंचकल्याणक महोत्सव आदि हुआ करते हैं। चूँकि उत्तर भारत को छोड़कर दक्षिणांचल और विशेषकर महाराष्ट्र (बंबई) में होली कतई फीकी रहती है। ऐसे ही जैन धर्म में होली मनाने का रिवाज नहीं है। गोया यह शूद्रों का त्योहार है, इसीलिए होली पर जैनसमुदाय जो कि औसतन वणिक समाज है- बाजारबंदी के कारण अपने निकटतम तीर्थ क्षेत्रों में सपरिवार चला जाता है। सो, होली के अवसर पर