नमो अरिहंता - भाग 1

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अशोक असफल ****** ।।समर्पण।। अभी मुझे और धीमे कदम रखना है अभी तो चलने की आवाज आती है -मुनि क्षमासागर   (1) आरंभ ** थाना लश्कर पूर्व क्षेत्र में तैनात हेडकांस्टेबिल कैलाश नारायण शर्मा उन दिनों ढोलीबुआ पुल के पार लश्कर शहर की एक अत्यंत गंदी बस्ती में किराए के मकान में रहा करते थे। मकान क्या था, आठ-आठ फुटी पाटोरें थीं जो गर्मियों में किसी कुंभकार के आँवे-सी तपतीं और बारिश में उलटा मेह बरसने पर चू उठती थीं। यह बस्ती सोनालीका अर्थात् स्वर्ण रेखा नहर के किनारे बसी थी। नहर जो कि स्टेट के ज़माने में कभी ए