10 दिन

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सुमेर ने अपनी पत्नी सुदेश को बुखार की दवाई देते हुए कहा दवा लेकर सो जाना, मुझे काम से आने में वक्त लगेगा, मेरी चिंता न करना। सुदेश को चिंता होने भी कहां वाली थी। उसे सुमेर का पास होना, न होना एक लगता था। सुमेर का सारा वक्त पैसों की चिंता में बीतता था, इसी से सुदेश चिढ़ती थी। ऐसा नहीं था कि सुमेर गरीब था, लेकिन जब व्यक्ति के हाथों पैसोनुमा मैल चढने लगता है तो उसे मैल में भी मजा आने लगता है ठीक उसी भांति जैसे सूअर को नाले में मजा आता है। अभी रिटायरमेंट आए