लेखक: प्रफुल शाह प्रकरण-102 आदत के अनुसार यशोदा की नींद सुबह जल्दी खुल गयी। जैसे-तैसे तीन-चार घंटे की नींद हुई होगी, लेकिन रात के जागरण का असर उसके चेहरे पर दिखायी नहीं पड़ रहा था। उल्टा, उसके चेहरे पर प्रसन्नता झलक रही थी और दुनिया जीत लेने का भाव था। यशोदा उठ कर चादर की तह लगाने लगी तभी केतकी ने उसे अपने पास खींच लिया। ‘कम से काम आज तो आराम से सोओ।’ ‘अरे, पर बज कितने गये, ये तो देखो।’ ‘देखने की जरूरत नहीं है। सो जाओ...’ यशोदा का हाथ पकड़ कर केतकी ने अपने पास खींच लिया।