व्यंग्य और अनुभूतिपरक सृजन का सेतु है ‘ व्यंग्य गणिका’ – डॉ. अनिल कुमार गुप्ता ऐतिहासिक सालवई की माटी में जनमें एवं भवभूति की कर्मस्थली के सच्चे कलासाधक रामगोपाल भावुक की कृति ‘ व्यंग्य गणिका’ उनको व्यंग्यकार के रूप में प्रतिष्ठित करके ही रहेगी। कृति का शीर्षक ‘व्यंग्य विद्या’ का विच्छेदन समग्र रूप से एक शब्द में करता प्रतीत होता है और लोगों की अनंग भावनाओं को उद्वीरत कर अपने लक्ष्य की सिद्धि में कुशल होती है। हूबहू व्यंग्य विद्या भी इन सभी कृत्योंष का निर्वहन करती है, वह लोकरंजन करती