दुश्मन-दोस्त

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मुझे ठीक से याद नहीं कि वो कौन थी,कहाँ से आती थी और क्यों आती थी?मैं तो बस उसके पायलों की आवाज़ सुनकर ही मोहित हो जाता था,मैं उससे कभी कभी पूछता भी था कि तुम रात को क्यों आती हो?तो वो बोलती थी... मैं दिन में नहीं आ सकती,मेरी मजबूरी को समझने की कोशिश करो... और मैं हँस देता,वो जब भी आती तो उसके पैरों की पायल मुझे बता देती कि वो आ गई है लेकिन मैं तब भी चुपचाप आँखें मूँदे लेटा रहता और जब वो मेरे माथे का चुम्बन लेती तब मैं अपनी आँखें खोलता और मुस्कुरा