सुभाषचंद्र बोस- दूरदर्शी नेता

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बाल्यकाल से ही नेताजी निडर,सेवाभावी,पढ़ाई में अव्वल और पराक्रमी थे। विद्यालयमे भी वो टोलियों को संगठित करना,लड़ाई लड़ना उन्हें पसंद था। इसके अलावा महामारी के वक़्त मरीजों की सेवा करने मे भी अग्रसर थे। उन्होंने 1917 मे बी.ऐ के इम्तिहान उत्तीर्ण किये। उसके बाद पिताजी के आग्रह पर वो इंग्लैंड इंडियन सिविल सर्विस(आइ.सी.एस) की पढ़ाई करने के लिए गए।परंतु नेताजी ने अपने भाई को बताया कि मे जा तो रहा हू पर मन में मानसिक युद्ध जारी ही है। मेरा देश गुलाम है,मेरे 30 करोड़ देशवासी गुलामी में जी रहे हैं और मे वहीं ब्रिटिश सरकार का नोकर बनने जा