नि:शब्द के शब्द - 9

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नि:शब्द के शब्द / धारावाहिक / नौंवा भाग इकरा बनाम मोहिनी सुबह ग्यारह बजे से लेकर शाम के पांच बजे तक हामिद मानो अपने घोड़े-खच्चर सब बेचकर गहरी नींद सोता रहा. इस मध्य सारे घर में सन्नाटा किसी मातम वाले घर के समान पसरा रहा. मोहिनी अभी तक अपने स्थान पर बैठी हुई थी. जब से वह बैठी थी, तब से एक ही बात के बारे में वह लगातार सोच रही थी. जिस बात के लिए वह सोच रही थी वह यही थी कि, जब से वह इस संसार में आई थी, तब से उसे अपने आपको मोहिनी साबित करने