आंसु पश्चाताप के - भाग 4

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आंसु पश्चाताप के, भाग 4नहीं पापा प्रकाश मेरा सब कुछ है , मैं उससे अलग रहकर खुश नहीं रह सकती मैं प्रकाश से बहुत प्यार करती हूँ । ठीक है , अगर तुम्हारी यही ख्वाहिश है तो मैं तुम्हारी शादी प्रकाश से कर दूंगा , परन्तु आगे कुछ हुआ तो मुझे दोष मत देना ।ज्योती अपने बीते लम्हों में खो गई उसकी अन्तरात्मा में प्रकाश के प्रति नफरत की आग धधकने लगी , अपनी उलझी गुत्थी को सुलझाने का जितना प्रयत्न करती उतना ही उलझने लगी , जिससे बाहर आने का कोई रास्ता नहीं मिल रहा था , वह खिन्न