छत्रपति शिवाजी महाराज की गौमाता के प्रति श्रद्धा

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बारह वर्ष की आयु में ही शिवाजी को यह अहसास था कि इस देश के मूलनिवासी गरीबी और दासता का जीवन बिता रहे है, जबकि दूर देश से आये मुस्लिम हमलावरों के वंशज यहां के लोगों की सम्पत्ति पर ऐश कर रहे हैं। क्रूर शासक मखमल और रेशम पहनते हैं और मस्ती लूटते हैं, जबकि गरीब जनता को खाने के लिए सुखी रोटी भी नहीं मिल पाती। इन विचारों और अहसासों के साथ ऐश्वर्य के अम्बरों के बीच से गुजरते हुए शिवाजी कभी क्रोध से होंठ काटते थे, कभी भौंहे चढ़ाते थे और आंखे तरेरते थें। उन्हें यह सब अच्छा