कहानी प्यार कि - 62

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" मनीष ये क्या किया तूने... ? " अखिल जी ने मनीष को डांटते हुए कहा.." हाउ डेयर यू... मुझ पर हाथ उठाया तुमने..." वैशाली एक हाथ अपने गाल पर रखकर गुस्से से बोली.." तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरे बेटे के खिलाफ साजिश रचने की..."" वो तुम्हारा बेटा नही है.. " " वो मेरा ही बेटा है वैशाली.. तुमने उसे कभी अपना माना ही नही पर मेरे लिए वो बेटे से भी बढ़कर है समझी...." " आई एम सोरी अनिरुद्ध... वैशाली ने जो किया इसके लिए... " मनीष हाथ जोड़ते हुए बोला.." नही चाचू आप को माफी मांगने की कोई