अनोखा प्रस्ताव - 2 (अंतिम)

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शेखर के उतेजित होने पर भी वर्षा ने उसकी बात का जवाब शांत स्वर में दिया था"क्या कह रही हो डार्लिंग?"गिरगिट की तरह रंग बदलते हुए वर्षा की तरफ खिसकते हुए प्यार से बोला।"सच कह रही हूँ।तुम अपनी कमी जानते हुए भी मुझे धोखा देने का प्रयास करते रहे।""यह झूठ है।जरूर तुम्हे कोई गलतफहमी हुई है।""पहले मैने भी इसे अपना भरम ही समझा था।पर जल्दी ही मेरा भरम विश्वास में बदल गया।फिर भी मैं चुप रही।""तुम मुझ पर झूंठा इल्जाम लगा रही हो।""यह इल्जाम नही हकीकत है।"वर्षा बोली"तुमने अपनी शारिरिक अक्षमता दूर करने के लिये शराब का सहारा लिया।शराब भी