आड़ा वक्त – किसान का उपन्यास

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आड़ा वक्त – किसान का उपन्यास                                                                                  रामगोपाल भावुक              आदमी धन-सम्पदा कमाकर अपने पास रखता है आड़े वक्त के लिए। किसान आदमी अपनी जमीन तो सदा से आड़े वक्त के लिए रखता आया है,वह कहता है 'जमीन हमारे पुरखों ने इसलिए सौंपी थी कि इसकी रखवाली करते रहें ,इसे कम न करें ,अपने बच्चों को ज्यों की त्यों सौंप जाएं।'    आजकल सबका आड़ा वक्त चल रहा है , ईमानदार कर्मचारियों से लेकर हर श्रेणी के मजदूर और किसान  तक , तो इन्ही वर्गों के आड़े वक्त की दास्तान कही जाय तो बड़ी ख़ास होगी।      आज देश में