कुछ भाव ऐसे भी

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तुमसे बेहतर कोई नहीं सकल जीवन संसार में तुमसे बेहतर कोई नहीं सकल जीवन संसार में जब बनाया होगा तुमको उस परवरदीगार ने,फुरसत से सजाया होगा तुमको बैठकर विस्तार में,क्या खूब बनाया है तुमको इस विस्तृत आकार में, तुमसे बेहतर कोई नहीं सकल जीवन संसार में ।....जब तुमको देखा था मैंने पहली रोज बाहर से, घर के अंदर देख रहा था बालों को तुम्हे संवारते,दिल आ गया देख कर तुमको इस अंदाज में,तुमसे बेहतर कोई नहीं सकल जीवन संसार में ।....मां ने तो पूछा होगा क्यूं इतनी गुमसुम रहती हो,रोती हो छुप छुप कर पर हमसे क्यों कुछ न कहती