अग्निजा - 86

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प्रकरण-86 भावना बड़ी देर से चुपचाप बैठी थी। शांति बहन, जयश्री और यशोदा को भी आश्चर्य हो रहा था कि ये लड़की इतनी देर से चुप कैसे बैठी है? यशोदा ने पूछा तो भावना ने ठीक से उत्तर नहीं दिया। वह उत्तर भी क्या देती बेचारी ? उसे रह-रह कर प्रसन्न का घर, वहां पर हुआ वार्तालाप और रास्ते भर एक भी शब्द न बोलने वाली केतकी की याद आ रही थी। केतकी ने घर में घुसते साथ भावना की तरफ देख कर बोली, “मुझे अकेले रहना है सुबह तक। मुझे बिलकुल परेशान मत करना। कोई नाटक मत करना। प्लीज.