इश्क़ ए बिस्मिल - 51

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अरीज बोहत सोच समझ कर उनके ऑफिस के बाहर खड़ी थी। उसने एक हाथ में ज़मान खान के लिए चाय पकड़ी हुई थी और दूसरे हाथ से वह उनके ऑफिस के दरवाज़े को knock कर रही थी। ज़मान खान ने अपने काम पर नज़रें टिकाए हुए आने वाले को अंदर आने की इजाज़त दी। अरीज को अंदर आता देख उनके चेहरे पर मुस्कुराहट फेल गई, उन्होंने अपना लैपटॉप खुद से थोड़ा परे किया। अरीज ने भी मुस्कुरा कर उन्हें देखा। “कसम से... चाय की बड़ी तलब हो रही थी... मैं अभी चाय के लिए बोलने ही वाला था।“ उन्होंने अरीज