सिर्फ़ स्थगित होते हैं युद्ध

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परत -दर-परत अनबिके संकल्प --------------------------------------- पुस्तक... सिर्फ़ स्थगित होते हैं युद्ध लेखिका... डॉ. प्रभा मुजुमदार -------------------------------------- 'लिखूँगी तो ज़रूर'की पीड़ा से छटपटाती इन 65 रचनाओं की यात्रा आज की वास्तविकता पर आकर एक साँस लेने का प्रयास करती दृष्टिगोचर होती है | फिर भी कहाँ थम पातीं हैं घायल संवेदनाएं --यहीं आकर लंबी साँस लेते हुए कवयित्री पार करती हैं अनेकों पड़ाव जिससे गुजरते हुए, कसैले लम्हों को पीते हुए वे एक लंबी, थकान भरी यात्रा से गुजरती महसूस होती हैं| 'सिर्फ़ स्थगित होते हैं युद्ध ' पर आकर वे एक आह छोड़ती, छटपटाती दिखाई देती हैं | युद्ध जितना