तारा को पता था कि एक दो दिन में वो हमेशा के लिए घर से जा रही है इसलिए वो भाई और दादी के पास ज्यादा बैठा करती थी। माँ और पिताजी तो उसे चंदा के पक्षधर लगते थे इसलिए वो उन लोगों से कम ही बात करती थी। धीरे-धीरे करके उसने सिलाई-कढ़ाई में काम आने वाले छोटे-छोटे सामान को एक थैले में रख लिया था। उसने अपने बैग में कपड़े में खिंचाव के काम आने वाले फ्रेम तो चार-पाँच साइज़ के रख लिए और साथ में हर रंग के धागे। अपने तीन चार सूट भी अब तो उसने अलमारी