उजाले की ओर –संस्मरण

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सुप्रभात आ. एवं स्नेहिल मित्रो ! आप सबको प्रणव भारती का नमन एक बार एक पिता अपने सत्रह वर्षीय बेटे को किसी संत के पास लेकर गया |उसने संत से प्रार्थना की ; “महाराज ! मेरे बेटे को ज्ञान दीजिए ,कृपया इसे बताइए कि यह जब तक शिक्षा में अपना मन नहीं लगाएगा,अच्छी बातें नहीं सीखेगा,सबसे प्रेम पूर्वक व्यवहार नहीं करेगा तब तक इसका जीवन उत्कृष्ट कैसे हो सकेगा ?” संत ने कुछ विचार किया फिर पूछा ; “आपके घर का वातावरण कैसा है ?” “अर्थात्---” बच्चे का पिता असमंजस में पड़ गया,आखिर संत उससे क्या पूछना चाहते हैं ?