कहानी प्यार कि - 51

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अनिरूद्ध की गाड़ी रात को नैनी लेक जाकर रुकी...उसने गाड़ी एक जगह पार्क की और अंदर चला गया... लेक की चारो और सन्नाटा पसरा हुआ था.... अनिरूद्ध ने एक नजर लेक के पास बनी रेलिंग पर डाली....और उसके चहेरे पर मुसकुराहट आ गई... सौरभ लेक की तरफ मुड़कर वही खड़ा हुआ था...और अपनी सोच में खोया हुआ था ... उसका ध्यान तब टूटा जब एक हाथ उसके कंधे पर आया...सौरभ ने मुड़कर देखा तो वो अनिरुद्ध था..." अनिरूद्ध तू यहां क्या कर रहा है ? " सौरभ ने हैरानी से पूछा.." पहले तू मुझे ये बता की इतनी रात को