सच्ची दोस्ती?

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आप कितने भी बड़े हो जाइए आप के अंदर बचपना जिंदा रहना चाहिए या यूं कहिए जिंदा रहता हैं और वो बचपना बाहर तब निकलता हैं जब आप किसी ऐसे अपनों से मिले जिनके साथ मात्र से ही बचपना करने का मन करने लगा। इंसान जब ऐसे दोस्त बनाता हैं या ऐसे रिश्ते बनाता हैं तो कई बार गलतियां कर देता हैं और वो भी जान बुझ के ताकि उसे डांटे और फिर दुलार करें। पर इसका मतलब ये नहीं के वो इंसान समझदार नहीं होता या नादान होता हैं वो प्यार से मिले हक को जताता हैं।और इसका मतलब