अतीत के पन्ने - भाग 28

  • 3.9k
  • 1.6k

फिर शाम को पिया और जतिन हवेली पहुंच गए।आलोक ने कहा आइए जतिन जी।और मेरी घर की लक्ष्मी आओ।पिया थोड़ी शरमाते हुए बोली अरे अंकल आप कब आए?आलोक मुस्कान लिए बोलें कि अरे बाबा आप की बेटी को जितना देख रहा हूं उतना हैरान भी हो रहा हूं कि आजकल की लड़कियां तो ऐसी कभी नहीं होगी। और फिर काव्या की झलक मुझे हमेशा पिया की मुस्कान में उसकी नियत और उसकी सादगी मिल रही है ये भगवान का कोई अद्भुत चमत्कार ही है।।जतिन ने हाथ जोड़कर कहा कि ये आपका बड़प्पन है जो आप ऐसा मानते हैं और हां